क्या यह इक्कीसवीं सदी की न्याय प्रणाली है?
आखिर मंशा क्या है?
शैलेंद्र जोशी
एस सी, एस टी एक्ट पर फिर से फैसला आया है। सरकार ने समूचे सवर्ण समाज के साथ इसमें बड़ा अन्याय किया है। बताइये, क्या दलित भाई अकेले हरिश्चंद्र के वंशज हैं और क्या हम सब झूठे- मक्कार हैं ? दलित एक शिकायत करे और सवर्ण समाज के व्यक्ति को बिना पड़ताल अरेस्ट कर लिया जाए, क्या यह इक्कीसवीं सदी की न्याय प्रणाली है? अब सवर्णों को बिना अपराध सजा भुगतना पड़ सकती है। लगता है इस देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है, बल्कि जल्द ही घृणास्पद व्यवस्था लागू होने वाली है। ज़रा सोचिए, जब देश के नेताओं की सोच ही मैली हो तो फिर कैसे समता और सभ्यता वाली व्यवस्था की अपेक्षा की जा सकती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में समानता की व्यवस्था को अनदेखा किया गया। जब इस देश में जाति आधारित व्यवस्थाएं ही चलानी है तो फिर क्यों इसे लोकतांत्रिक देश कहा जाता है? हमारे देश के जाति उद्धारक बताएं कि सवर्ण समाज को वे किस समुद्र में डुबोने वाले हैं?
नेता लोग विश्व मंच पर कुछ भी बोलते रहें, कोई दिक्कत नहीं, लेकिन इस देश में युगों से कायम समानता और भाईचारा तो न बिगाड़े।
आरक्षण ने पहले ही योग्यता की 12 बजा रखी है, ऐसे में एक पक्षीय दलित एक्ट लाकर देश में घृणा का वातावरण पैदा करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है?
जरा यह भी बताएं-
-दलित कर्णधारों, क्या आप आरक्षण कोटे से बने डॉक्टर से ही इलाज कराने की शपथ ले सकते हो?
- आरक्षण कोटे से इंजीनियर बने व्यक्ति से अपना बंगला बनवा सकते हो?
-आरक्षण कोटे से बने शिक्षक की कक्षा में अपने बच्चों को पढ़ा सकते हो?
-कथित कर्णधारो, क्यों रामदीन काका, असलम चाचा, ठाकुर साहब और पंडित जी के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हो?
देश जानना चाहता है आखिर आपकी मंशा क्या है?