मुझे नहीं आता आधे में रुक जाना__ निकल पड़ा हूं तो बाधाएं पार करुंगा-मुदित

 






मुझे नहीं आता आधे में रुक जाना__ निकल पड़ा हूं तो बाधाएं पार करुंगा-मुदि

 

हरीश मिश्र

 

 

जो बदलता नहीं है,समय के अनुरूप___आवश्यकता के अनुसार और परिस्थितियों के मदे्नजर, वह समाज की मुख्यधारा से कट जाता है। जीवन में बदलाव की आवश्यकता है___।

     बदलाव सदैव गुजरे हुए कल से आने वाले कल के बेहतर होने की उम्मीद से जुड़ा होता है। उम्मीदें__आकांक्षाएं___सपने___आशाएं और विश्वास ही बदलाव के प्रमुख कारण होते हैं । ऐसा ही एक बदलाव सांची विधानसभा के भाजपा युवा नेता मुदित शेजवार में देखने को मिल रहा है। 

  

     विधानसभा चुनाव के बाद और तीव्र गति से सशक्त होकर गरीब, दलित, शोषित, पीड़ित वर्ग की आज सशक्त आवाज़ बन गए। 

      उन्होंने सरस्वती के वरद्पुत्र भाजपा के पितृ पुरुष स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की उन पंक्तियों को जीवन में आत्मसात कर लिया_____

आदमी को चाहिए परिस्थितियों से लड़े__एक स्वप्न टूटे___तो दूसरा गढ़े।  जड़ता का नाम जीवन नहीं___ पलायन परोगमन्  नहीं___उन्होंने पलायन ना कर जनसेवा का शंखनाद कर जनहित में जीवन समर्पित कर दिया। 

      दैनिक दिव्य घोष से चर्चा करते हुए कहा " मुझे नहीं आता कोरे  स्वप्न सजाना___एक-एक सपनों को साकार करुंगा___मानता हूं हर एक कल्पना सत्य नहीं होती___सभी अभिलाषाएं पूरी नहीं होती___जीवन में हर कदम पर अवरोध मिलेंगे____निकल पड़ा हूं तो बाधाएं  पार करुंगा__सेवा करते समय कुछ तकलीफें उठानी पड़ती हैं___पर उस पीड़ा से डर जाना मैंने नहीं सीखा___अब समाज के हर वर्ग को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करूंगा । मुझे अंधेरे से डर नहीं

लगता____प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूंगा___सांची विधानसभा क्षेत्र की हर कल्पना साकार करूंगा___देखे हैं जो सपने____निरंतर चलकर साकार करूंगा।