<no title>चीख___चुनरी और चुनाव____

 


 


चीख___चुनरी और चुनाव____



हरीश मिश्र


        रायसेन मौत के आतंक से सन्न है । बस की तेज रफ्तार से 7 लोग असमय ही काल  के गाल में समा गए । कल की रात मानो मौत ने आत्मघाती हमला किया हो। हमले के बाद बस दुर्घटना की चीख से कोहराम मच गया। मौत के साये  को देखकर घायल चीख रहे थे ___उनकी चीत्कार सुनकर  दरगाह पर रात्रि में देर तक बैठे रहने वाले लोग घटनास्थल की और दौड़ पड़े। जब तक पुलिस-प्रशासन पहुंचा___ संवेदनशील लोगों ने जैसे बना घायलों को निकालने में अपने प्राणों की बाजी लगा दी। पुलिस और प्रशासन ने भी कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी।  रात के सन्नाटे में अस्पताल की दीवारों से टकराकर चीखें संवेदनशील  मनुष्य को घायल कर रही थी___मृतकों की लाशें, परिजनों के मौत पर बहते हुए आंसू और मौत से संघर्ष कर रहे प्राण  बार-बार यह प्रश्न पूछ रहे हैं कि हमारा क्या कसूर है ? यदि कसूर उनका नहीं है तो किसका है? यह प्रश्न आज पूछा जाना चाहिए और कसूरवार जो भी हो उन्हें कटघरे में लाया जाना चाहिए । 
      सुबह से जिसने भी यह समाचार सुना उसका दिल पसीज गया। घटना की जानकारी मिलने पर शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी, पूर्व मंत्री डाॅ गौरीशंकर शेजवार, युवा भाजपा नेता मुदित शेजवार, कलेक्टर उमाशंकर भार्गव, एसपी श्रीमती मोनिका शुक्ला और आम नागरिक, पत्रकार, अधिवक्ता, समाजसेवी संवेदना व्यक्त करने अस्पताल पहुंचे। ‌
      डॉ शेजवार से पत्रकारों ने इस दुर्घटना पर सवाल किए उन्होंने कहा " यह समय मानवीय संवेदना के आधार पर मृतक एवं घायलों को मदद करने का है__बयान बाजी का नहीं। " उनके  वक्तव्य ने उनके कद को और बढ़ा  दिया ।


      इसलिए कुदरत  ने मनुष्य को संवेदनशील बनाया । संवेदनशील मनुष्य दुख की इस घड़ी में जात-पात से ऊपर उठकर मानवता के लिए मदद करता है। 
मनुष्य को इसलिए संवेदनशील कहा जाता है । उसके पास सोचने की शक्ति है। रात्रि को हुई बस दुर्घटना ने शहर के हर इंसान की आंखों में आंसू ला दिए__हर संवेदनशील नागरिक की आंखों में आंसू थे,पर आज शहर के प्रथम नागरिक जमना सेन  से कैसे चूक हो गई । शहर की हर घटना पर बारीकी से नज़र रखते हैं और दुख की घड़ी में लोगों के साथ खड़े होते हैं__ किंतु जब उनके हाथ मृतकों और घायलों के कंधों पर होना थे___ तब वह चुनरी यात्रा निकाल  रहे थे । 
     शहर के प्रथम नागरिक जमना सेन हर साल भव्य चुनरी यात्रा निकालते हैं । चुनरी यात्रा का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था किंतु उनको  चुनरी यात्रा स्थगित करनी चाहिए थी।इस चुनरी यात्रा का अपना राजनीतिक महत्व  है।  चुनाव नजदीक हैं । इसलिए स्थगित करने का निर्णय नहीं ले सके। किंतु माता की चुनरी बिना उत्सव मनाए सादगी पूर्वक भी जाकर चढ़ाई जा सकती थी।