<no title>देश की सबसे बड़ी अदालत का निर्णय स्वीकार करें___

 


दिव्य चिंतन

 

देश की सबसे बड़ी अदालत का निर्णय स्वीकार करें__

 

हरीश मिश्र


 

 

 

जब भी रस्सी की गांठ को बौद्धिक कौशल से खोला जाता है तो वह सहज रूप से खुल जाती है । पहली बार संवैधानिक रूप से न्यायालय द्वारा राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद की गांठ को न्यायिक दृष्टिकोण से खोलने का प्रयास किया जा रहा है। यह गांठ सहज रूप से बरसों पहले खुल सकती थी___किन्तु इसमें राजनीतिक दुर्बुद्धि के प्रयोग के परिणामस्वरूप  गांठ और अधिक कसती चली गई । 

        राजनीतिक दलों, धार्मिक संगठनों और सामाजिक संगठनों ने गांठ खुल ना जाए इसके लिए भरसक प्रयत्न किए । जब-जब  गांठ खोलने का प्रयास किया गया, उस पर तेल लगा दिया गया । जिसके कारण गांठ नहीं खुल सकी। 

      प्रत्येक शुभ कार्य पर जब राजनैतिक लाभ हानि का आकलन किया जाता है तो कर्म कुकर्म बन जाते है। ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार-कुविचार की आग से अग्निकांड होने के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं हो सकता। 

      अग्नि का गुणधर्म रोशनी देना और भस्म करना है। अग्नि का गुणधर्म ही यही है यदि वह मशाल के रूप में प्रज्जवलित होती है तो रोशनी  देती है और यदि आग के रूप में तो वह घास फूस से लेकर लोहे जैसी वस्तु को भी पिघला देती है । 

      अग्नि को शक्ति संचय पर्व पर यज्ञ के लिए प्रज्जवलित किया जाता है और अशुभ, अमंगल कार्य के लिए अग्नि कांड किए जाते हैं। ‌ अग्नि अपने जलाने के धर्म में भेदभाव नहीं करती। वह तो अपने अंक में आए सभी सामग्री को भस्म कर देती है । वह ना जात देखती है ना धर्म, ना अमीरी देखती है, ना गरीबी । 

      देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला ,आमजन से लेकर, धर्मरक्षक और राजनेताओं तक को, वस्तुस्थिति को निरपेक्ष भाव से देखना चाहिए। यदि इस भाव से नहीं देखा तो परिणाम अमंगल कारी अनर्थकारी होने में विलंब नहीं होगा।

    राम मंदिर का मुद्दा बरसों से हमारे देश में मतभेदों की चिंगारी को जागृत कर ज्वाला बनाकर रखे है। मतभेदों कि कलह को हवा ना दें___कुछ लोग सोशल मीडिया पर कलहग्नि में घृत डालकर धधका रहे हैं। हम सब कुछ जानते समझते हुए अनजान या अज्ञानी बने नहीं रह सकते। 

      सोशल मीडिया पर दोनों धर्मों के कुछ अनुयाई  युद्धवृत्ति वाले हैं। वह अपनी वृत्ति कभी नहीं बदल सकते ।यही वृत्ति समाज में वैमनस्यता की सूत्रधार है। ऐसी वृत्ति का विरोध न कर  हम सर्वनाश की आहुति दे बैठते हैं। अतः स्व विवेक से राष्ट्र हित में अदालत के फैसले को स्वीकार करना होगा। यदि आप को अपने आसपास कोई भी संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे तो कृपया पुलिस एवं प्रशासन को सूचना देकर सहयोग प्रदान करें।