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जिन हाथों में  रिश्वत लोगे, उनकी अब खैर नहीं होगी___


हरीश मिश्र
    
  भ्रष्ट आचरण करते हुए लोकायुक्त पुलिस द्वारा शासकीय कर्मचारी, अधिकारियों को ट्रेप किया जाता है। यह कार्रवाई विधि के अनुसार की जाती है, किंतु लोकायुक्त पुलिस ऐसे कोई भी तथ्य को, तब तक सार्वजनिक नहीं कर सकती जब तक न्यायालय द्वारा किसी को दंडित नहीं किया जाए। 
   कल से समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया में जिला खाद्य एवं आपूर्ति कार्यालय हरदा में पदस्थ सहायक ग्रेड 3 जीतेंद्र कुमार चौधरी का फोटो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें लोकायुक्त के 2 कर्मचारी उन्हें पकड़े हुए हैं। कल भोपाल लोकायुक्त पुलिस की टीम ने जितेन्द्र कुमार चौधरी को 8000 रु की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा____
     मानवीय और सामाजिक अधिकारों का लोकायुक्त पुलिस  को उचित आदर करना चाहिए । आर्थिक कदाचरण में संलिप्त कर्मचारी को अभी न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना है। जब तक न्यायालय का फैसला नहीं आ जाता कर्मचारी को बंदी बनाए हुए चित्र समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया के लिए जारी करना विधि विरुद्ध है___यदि यह व्यक्ति न्यायालय से बरी हो जाता है तो क्या लोकायुक्त पुलिस इस व्यक्ति की इज्जत को वापस कर सकती है ?  
      लोकायुक्त पुलिस जब आईएएस , आईपीएस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करती है । तो कभी भी इस तरीके के फोटो जारी करने की हिम्मत नहीं  करती । इसलिए यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है की छोटे कर्मचारियों के विरुद्ध जो आचरण लोकायुक्त पुलिस द्वारा अपनाया जा रहा है। वही आचरण लोकायुक्त पुलिस को अधिकारियों के विरुद्ध भी करना चाहिए।