पुलिस का पूर्व नियोजित-फ़र्जी एनकाउंटर..!
बाद में उसे सही ठहराने के लिए कमिश्नर की
कहानी भी क्यों लगती है झूठी- अविश्वसनीय ?
-दरिन्दे थे वे लेकिन देश में है संविधान सम्मत कानून का राज.किसी को पुलिस को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. इसलिए हैदराबाद बलात्कार-हत्या के आरोपियों के पुलिस एनकाउंटर पर पुलिस के बयान और उसकी एनकाउंटर थ्योरी पर अनेक सवाल उठना लाज़िमी हैं...पुलिस ने मॉब लिंचिंग करने वालों की तरह व्यवहार क्यों किया?अदालत में चार्जशीट दाखिल करने के बाद इन चारों आरोपियों को पुलिस घटनास्थल पर मध्यरात्रि के बाद तड़के सुबह-अँधेरे में क्यों ले गई थी? क्या 'सीन ऑफ क्राइम' (रिक्रिएशन) की पड़ताल सुरक्षा बंदोबस्त के बीच सुबह नहीं हो सकती थी? एक आरोपी पुलिसकर्मी का हथियार छीन कर भागने लगा...पुलिस की यह बात भी हजम नहीं हो रही है, यह कैसे संभव हुआ? क्या इन आरोपियों को हथकड़ी पहना कर नहीं लाया गया था? हथकड़ी और बेड़ियों-रस्से से बंधे चारो अपराधियों ने एक साथ भागने की कोशिश की? क्या चारों ने ऐसे कई सवालों के उत्तर के लिए हमें मजिस्ट्रेट/न्यायिक जाँच की रिपोर्ट का कई महीने इंतजर करना होगा.
इस एनकाउंटर पर यूपी के पूर्व डीजीपी ए के सिंह का कहना है कि तेलंगाना पुलिस ने ऐसी परिस्थिति क्यों आने दी ,एतिहातन सुरक्षा प्रबंध क्यों नहीं किये कि हथकड़ी लगा कैदी किसी पुलिसकर्मी के शस्त्र छीन ले. दिल्ली के पूर्व जॉइंट कमिश्नर आमोद कंठ का कहना है कि मीडिया के माध्यम से मिले समाचार से प्रथमतः यह 'मैनेज' एनकाउंटर प्रतीत होता है. पुलिस की बात जेन्युइन नहीं लगती. पूर्व केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद मेनका गांधी देश की न्याय व्यवस्था के नजरिये से बड़ी महत्त्वपूर्ण बात कहीं है.
फिर फायदा क्या है अदालत का,फिर तो आप
बंदूक उठाओ जिसको मारना हो मारो: मेनका
तेलंगाना एनकाउंटर पर बीजेपी की सांसद मेनका गांधी ने कहा कि वहां जो हुआ वह बहुत भयानक हुआ इस देश के लिए. आप लोगों को ऐसे नहीं मार सकते हैं. आप कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं. मेनका गांधी ने कहा कि वे आरोपी थे और वैसे भी कोर्ट से उसे फांसी की सजा मिलती. उन्होंैने कहा कि ऐसा होने लगे तो फिर फायदा क्यार है कानून का, फायदा क्यां है सिस्टंम का. मेनका ने कहा, 'इस तरह तो अदालत और कानून का कोई फायदा ही नहीं, जिसको मन हो बंदूक उठाओ जिसको मारना हो मारो. कानूनी प्रक्रिया में गए बिना आप उसे मार रहे हो तो फिर कोर्ट, कानून और पुलिस का क्याो औचित्य रह जाएगा'.