<no title>मैं एक हिन्दू हूं और कभी  मैंने  धर्म की आड़ में किसी मुसलमान को नहीं डराया। न कभी डराऊंगा

मैं एक हिन्दू हूं और कभी  मैंने  धर्म की आड़ में किसी मुसलमान को नहीं डराया। न कभी डराऊंग


हिन्दू अगर तेरे घर के सामने दीवाली का एक दीया रखा जाएगा तो कैसे तेरा धर्म खतरे में पड़ जाएगा?

 

 

अताह तापस चतुर्वेदी

 

ताली दोनों हाथों से बजाइए हुजूर... हिन्दुओं को कोसकर आप उस देश में चैन की सांस ले रहे हैं, जहां सौ करोड़ से ज्यादा हिन्दू रहते हैं  

 

 

कोई यह अब तक नहीं बता पाया कि भारत का नागरिक बनने के नए कानून से भारतीय मुसलमानों को क्या फर्क पड़नेवाला है! क्यों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए वहां के अल्पसंख्यकों (ज्यादातर हिन्दू) को भारतीय नागरिकता देना मुसलमानों के खिलाफ़ है? भारत के बाहर बेटी और जिंदगी बचाने के लिए जान दे रहे हिन्दुओं को यदि आप एक राष्ट्र के रूप में संरक्षण देने को राजी हैं, तो आप स्वत: ही हिन्दू राष्ट्र बन जाते हैं। किसी संवैधानिक ठप्पे की आवश्यकता नहीं। हो-हल्ले की जरूरत नहीं है। 

इन सब सवालों से बड़ा भी एक सवाल है- आप हिन्दुओं के प्रति मानवता के भाव को मुसलमानों से अमानवीयता कैसे कह सकते हैं?  

क्या इतनी कमजोर हैं इस धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र की जड़ें! और धर्म निरपेक्षता भी कैसी?  उन समुदायों के मन में जहर भरना जिनकी धार्मिक मान्यता से हिन्दू संस्कृति का विरोधाभास है। 

मेरी पिछली पोस्ट पर सवाल आया कि क्या इस देश में सौ करोड़ से ज्यादा हिन्दू हैं? मैंने जवाब भी दिया कि हां हैं! मैं उस जवाब को आगे बढ़ता हूं कि अगर 40 करोड़ हिन्दू भी  वजूद और धार्मिक मान्यताओं के लिए आक्रामकता पर उतर आएं तो दुनिया की कोई ताकत भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने से नहीं रोक सकती। हिन्दू राष्ट्र आपके लिए भाजपा की राजनीतिक विचारधारा हो सकती है, मेरे लिए नहीं है। मैं एक हिन्दू हूं और कभी  मैंने  धर्म की आड़ में किसी मुसलमान को नहीं डराया। न कभी डराऊंगा। मेरे लिए हिन्दू राष्ट्र का अर्थ है दुनिया के हिन्दुओं की पनाहगाह।  मुसलमानों को किसी देश में अल्पसंख्यक होने की वजह से हत्या और दुराचार नहीं झेलने पड़ते, हिन्दुओं को हिन्दू होने की वजह से पड़ोस के तीन मुल्कों में जिंदा जलाया जा रहा है, उनकी बहन-बेटियों की आबरू लूटी जा रही है। मुस्लिमों को पनाह देने के लिए दुनिया में 50 से ज्यादा मुल्क सक्रिय हैं। कश्मीर से धारा 370 हटने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इन्हीं मुल्कों से इस्लाम के नाम पर भारत के खिलाफ हो जाने को कहते हैं।  

क्या भारत की लोकसभा और राज्यसभा की थोथी राजनीतिक बहसों में आपको कहीं धर्म-निरपेक्षता नजर आती है? सभी पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक ध्यान में रखकर बयान दे रही हैं। उन्हें भारत की धर्म निरपेक्षता से कोई लेना-देना नहीं है। 

मैं न्यूज चैनल्स औऱ अखबारों की बात नहीं रखूंगा, मैं जमीन का मुद्दा सामने रखूंगा। उदाहरण कश्मीर का लें! आज  कश्मीर का युवा अगर किसी लड़की से बदसलूकी करता दिल्ली में पिट गया, तो पूरे मानवाधिकार संगठन उसके पक्ष में उतर आएंगे। उसकी कश्मीरी पहचान और धर्म का हवाला देते हुए उसे निर्दोष बताएंगे। उसकी पिटाई को कश्मीर और इस्लाम से जोड़ दिया जाएगा। 

 

कश्मीर को संदर्भ में लाकर नागरिकता संशोधन विधेयक से नार्थ-ईस्ट यानी असम और उसके पीछे के राज्यों में आग लग जाएगी कहा जा रहा है। लगी भी है। आपको पता है दिल्ली में नार्थ-ईस्ट के लोगों को कितनी आजादी है? उन्हें गलत हरकतों पर डांट देना भी आपको जेल की हवा खिला सकता है। उन्हें इतनी आजादी और संरक्षण उनके अपने राज्यों में भी नहीं जितना देश की राजधानी में है। 

इस देश के बुद्धिजीवी धार्मिक और क्षेत्रीय अल्पसंख्यकों के नाम पर अपनी रोटियां सेंकते हैं। यदि वे धार्मिक अहिसष्णुता का राग नहीं अलापेंगे तो उन्हें सुनेगा कौन? उन्हें टीवी डिबेट में कौन बुलाएगा, और अखबारों में कॉलम कौन लिखवाएगा?  यह अजब हिन्दू बहुल देश है जहां सारे एडजस्टमेंट हिन्दुओं को ही करने हैं। दूसरे सारे धर्म-समुदाय कट्टर हो सकते हैं। हिन्दू नहीं हो सकता। और खुदा न खास्ता हो गया तो सीधे मुसलमान खतरे में पड़ जाते हैं! धर्म निरपेक्षता का राग अलापनेवालों ने कभी किसी मुसलमान से पूछा है- भाई हिन्दू अगर तेरे घर के सामने दीवाली का एक दीया रखा जाएगा तो कैसे तेरा धर्म खतरे में पड़ जाएगा?

मुझे कोई यह बता दे हिन्दू हित की बात करने से मुसलमान कैसे खतरे में पड़ जाते हैं? और यदि भारत धर्म-निरपेक्ष संविधान का दुनिया में झंडाबरदार है तो हिन्दुओं के पक्ष में कानून बनाने और मुसलमानों के पक्ष में काम बनाने में फर्क क्यों किया जाता है? मुसलमानों के पक्ष में कानून बनाना हिन्दुओं की नागरिकता के लिए खतरा नहीं बनता, लेकिन नागरिकता संशोधन के बहाने कट्टर मुस्लिम मुल्कों से जान बचाकर भागे हिन्दुओं को संरक्षण देना मुसलमानों के लिए खतरा बन जाता है। यह कैसा छद्म सेक्युलरिज्म है! 

'कैब' के असर का डर दिखा रहे लोगों से मुसलमानों को पूछना चाहिए कि भाई आप बताएं यह हमारे वास्ते खतरा कैसे है? क्या इसके बाद देश के सारे मुसलमानों को पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान जाने का कोई अध्यादेश लाएगी मोदी सरकार? और लेकर आती भी है तो क्या हिन्दू इसका विरोध नहीं करेंगे! क्या इतने हिन्दू इतने संगदिल हैं! 

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल के विरोध में गृहमंत्री अमित शाह को हिटलर कह दिया। यह हास्यास्पद है कि ओवैसी की पार्टी में मुस्लिमीन शब्द लगा है और वे धर्म निरपेक्षता की बात कर रहे हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी का नाम भारतीय हिन्दू जनता पार्टी हो जाने पर उस पर बैन लगवाने कम से कम एक लाख लोग सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने चले जाएंगे। ओवैसी भारत को हिन्दुस्तान कहना पसंद करते हैं औऱ भारत माता की जय इसलिए नहीं बोलते क्योंकि उनका धर्म इसकी इजाजत नहीं देता। कल को हिन्दू बकरीद पर भेड़-बकरियों की शहादत के विरोध में सड़क पर उतर आएंगे कि उनका धर्म उन्हें पशुओं का कत्लेआम देखने की इजाज़त नहीं देता तब! 

धर्म-निरपेक्ष देश की बात तब होनी चाहिए जब कोई धर्म स्वयं को देश से बड़ा न मानता हो, अथवा इसकी इजाजत न देता हो। आज हिन्दू मेजॉरिटी को मुस्लिम मेजॉरिटी के लिए खतरा बता रहे लोग यह नहीं जानते कि कल को हिन्दुओं ने अपना राष्ट्र मांग लिया तो धर्म निरपेक्षता का पाखंड धरा का धरा रह जाएगा।