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व्यक्ति विशेष- अरविंद केजरीवाल

 

 

 

केजरीवाल आंदोलन कर नेता बने और हंगामा कर मुख्यमंत्री__

 


  2013 का नायक 2019 में चालाक राजनेता बन चुका है

 



   एक बागी, अक्खड़ और आंदोलनकारी नेता अब एक सिद्धहस्त, चालाक पेशेवर राजनेता में तब्दील हैं

 

 


 

 

 

हरीश मिश्र

 

 

अन्ना आंदोलन ने देश को झकझोर दिया था। भ्रष्ट राजनैतिक व्यवस्था और एक परिवार की हुकूमत से देश का आम नागरिक दुखी था। देश ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था और उस परिवार से मुक्ति चाहता था । सभी लोग एक राजनीतिक विकल्प की तलाश में थे । उस आंदोलन से देश में कुछ नए राजनीतिक चेहरे उभर कर आए। इन चेहरों पर देश ने विश्वास किया । यह चेहरे थे अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास, किरण बेदी, योगेंद्र यादव, संजय सिंह, प्रशांत भूषण।

 

       देश के पहले आम आदमी अरविंद केजरीवाल  2013 में मुख्यमंत्री बने थे। तब केजरीवाल आंदोलन कर नेता बने और हंगामा कर मुख्यमंत्री । सिर्फ 45 दिन पद पर रहे।   उन 45 दिनों में दिल्ली के आम आदमी से लेकर राजनेताओं तक को हिला कर रख दिया। बेहद नाटकबाज मुख्यमंत्री बने केजरीवाल । 

 

       लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का सफाया हो गया, किंतु  2015 में आप पार्टी की लहर नहीं आंधी चली। 70 में से 67 सीटे आप पार्टी जीती। तब केजरीवाल खुद हैरान रह गए ‌।

 

          मोदी का विकल्प बनने के चक्कर में अपनी दिशा और अपने संकल्प  भूल गए । इतनी बड़ी आंधी के बाद केजरीवाल ने अपने आप को बदला। अपने भरोसे के साथियों को राजनीतिक सत्ता के लिए बनवास देने में देर नहीं की। केजरीवाल व्यवस्था बदलने आए थे पर सत्ता के लिए अपने साथियों का विश्वास तोड़ने लगे।

 

       आगामी विधानसभा चुनाव में केजरीवाल निश्चित ही नई पहचान बना रहे हैं।  2013 का नायक 2019 में चालाक राजनेता बन चुका है।

 

     दिल्ली में  लगे हुए ह़ोर्डिग्स इस बात का एहसास कराते हैं । वह बागी की जगह कुशल राजनेता बन गए हैं।  उन्होंने अपना चेहरा बदला है और अपनी नीतियां। 2012 में पत्रकार वार्ता आयोजित कर कांग्रेस के भ्रष्ट नेताओं के चेहरे उजागर करने वाले केजरीवाल अब आंदोलनकारी नेता नहीं___बल्कि राजनीति के सिद्धहस्त खिलाड़ी हो गए हैं। 

        विधानसभा चुनाव से पहले जनसंपर्क विभाग के पैसे को प्रचार प्रसार में पानी की तरह बहा दिया है। होर्डिंग्स से लेकर अखबारों में पूरे-पूरे पेज के इश्तहार___ यानी दिल्ली में हर जगह केजरीवाल का चेहरा मौजूद है।

 

   अन्ना आंदोलन के बाद  केजरीवाल जब सत्ता में आए तब  उनका चेहरा लोगों को यह अपील करते हुए होता था कि हम भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था देंगे___ उनकी सरकार भ्रष्टाचार से निजात दिलाएगी। लेकिन धीरे-धीरे केजरीवाल ने अपने रूप बदले, जो भ्रष्टाचार के देश में चेहरे थे__जिनके विरुद्ध युद्ध का घोष किया था__उनके साथ मंच पर नजर आने लगे। उनके चेहरे पर जो पवित्रता  थी___जितनी कड़क आवाज थी___वह चेहरा 2019 में मुरझा  गया और आवाज उन भ्रष्टाचारियों के साथ तरन्नुम में गीत गुनगुनाने लगी।

 

        निश्चित रूप से देश को केजरीवाल से इस रूप की उम्मीद नहीं की थी। तभी तो एक-एक कर सब साथी दूर हो गए। पानी मुफ्त करने, कच्ची बस्तियों को सुविधाएं दिलाने, बिजली मुहैया कराने और बिजली के दामों में कटौती से लेकर मोहल्ला क्लीनिक जैसी योजनाएं आम आदमी के लिए प्रारंभ की गई लेकिन उसमें लोगों को कर्म करने का संदेश विलुप्त हो गया। एक और राजनेता मुफ्त खोरी का संदेश सुनाने लगा।

 

       अब जब दिल्ली में चुनाव होने है तो केजरीवाल का जनसंपर्क भी सरकार की उपलब्धियों से भरा पड़ा है। वे और उनकी आप पार्टी हर तरह के साधनों का उपयोग कर रहे हैं। जैसे अखबारों में पूरे-पूरे पन्ने के विज्ञापन दिए जा रहे हैं, रेडियो पर विज्ञापन चल रहे हैं, ऑटो रिक्शे विज्ञापनों के पोस्टरों से अटे नजर आते हैं। जिन पर लिखा मिलेगा- आई लव केजरीवाल।

 

       एक बागी, अक्खड़ और आंदोलनकारी नेता अब एक सिद्धहस्त, चालाक पेशेवर राजनेता में तब्दील हैं।केजरीवाल समझ गए हैं कि इस देश में व्यवस्था नहीं सिर्फ सत्ता बदली जाती हैं। कब क्या करना है, कब किस पर अंगुली उठानी है, कब किस पर कलंक लगाना  है और कब भ्रष्ट राजनेताओं के साथ एकजुटता दिखानी है ।  केजरीवाल ने अपने को परिपक्व राजनेता और एक प्रशासक के रूप में स्थापित भले ही किया हो__पर स्वच्छ लोगों का विश्वास भी खोया है। 

 

पिछले 5 सालों में दिल्ली  मुफ्तखोरों का शहर हुआ है। फुटपाथ दूसरे राज्यों से आए लोगों के बसेरों में तब्दील होते जा रहे हैं।हर तरफ भिखारी हाथ फैलाएं मिलेगे। जिस तेजी से अपराध बढ़े हैं, उससे आम दिल्लीवासी हलकान है।